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श्री विश्वेशवन्दे ! विविध जैनतत्त्व विचारमय
जन हितगोध.
(हिन्दी-भाषानुवाद समलंकृतः )
FASEx. वस्तुनिर्देशात्मक मंगलाचरण,
(दोहरा-छंद.) अज अनादि अव्यक्त प्रभु, चिदानंद चिद्रूप; जिन्हके चरनसरोजमै, नमत सदा सुरभूप, तिन्हको सुमिरन करि लिखू, हिंदि " जैन हितबोध;" पटिय पाठक नित प्रति, तजि मततत्व विरोध. सार सार सव संग्रहो, तजिके दोष तमाम; लीजें परमानंदमें, अनुभौ मुख अभिराम.
श्री वीर प्रभुका निर्वान और अपना कर्तव्य,
देवेन्द्र, नरेन्द्र और योगीन्द्रोंके परमपूज्य चरम तीर्थंकर श्री __मन् वीराधिवीर महावीर प्रभुजीने उत्कृष्ट योग और तपके पल में