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प्रस्तुत ग्रंथकी पहिली आवृत्ति परम पूज्य स्थल पालितानामें जैन धर्मविधा प्रसारक वर्गकी तरफसे छपवानेमें आइथी लेकीन एसे ग्रंथ रत्नोंकी विषेश उपयोगीता मालूम होनसें पुर्वोक्त मुनिराजजीका नम्र विज्ञप्ति करने के साथ वै कृपालु मुनिश्रीने दूसरी आवृत्ति छपपनिकी आज्ञा दी. जिसे दुसरी एडीसन हमारी तर्फसे प्रसिद्ध की गई जीसमें जैन धर्म प्रकाश और आत्मानंद प्रकाश मासिकमसे उth मुनिश्रीका पृथक पृथक लेख भी उन्हीकी आज्ञा लेकर इस्में दाखिल किये गयेः फीरभी उस ग्रंथकी ज्यादे जरुरत होनेसे तीसरी एडीसनभी प्रसिद्ध करनेमें आई उस आवृत्ति में विषयानुक्रम के फारफेर करनेका योग्य लगनेसे योग्य नाम रचा गया है. और असल फकीरी नामक विषयमें आत्मानंद प्रकाशका उक्त विषय संधान कर दीया. इस तरह गुर्जर गिराकी तीन आवृति होनेपरभी हिंदी भाषा जाननेवालोंकी उमगेद पूर्ण न हुइ पास्ते कवि पूर्णचंद्र शर्मा द्वारा उसीका हिंदी तरजुमा करवाके हमने प्रसिद्ध कीया है. सो इस ग्रंथका लाभ लेकर लेखकका और हमारा परिश्रमको भव्य सत्वों सफल करें और स्वकर्तव्यपरायण हो ऐसी आंतर इच्छा रखते है ! पूज्य मुनिश्रीका मयासके वास्ते इन महात्माका शुद्धोतः फरणसें हम अत्यंत आभार मानते हैं. ... इस ग्रंथको मुद्रित करवाने के लिये द्रव्यकी सहाय देनेहार धर्मानुराग्री सद्गृहस्थोंका आभार माननेके साथ असे सन्मार्गम सद्रव्यका व्यय अनेकशः हो जैसा ही हरदम चाहते हैं ! अस्तुः
प्रसिद्ध कर्चा.
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