________________
(गीत-भोजनके समय) श्रीगुरु आये मोरे पाहुने धन भाग हमारे ॥ टेक ॥ सम्यक् दर्शन ज्ञानके अनहद् वजत नगारे ॥ कंचन जल अति सीयरे गुरु चरण पखारे ॥१॥ चन्दन चौकी धरदई गुरु अान पधारे ॥ सुन्नेके थार आहार दियौ गुरु जेवन लागे ॥२॥ कंचन झारी भराइयौ गुरु अँचवन लागे । संजम विड़ियाँ लगाइयौ गुरु चावन लागे ॥३॥ गुरु हो चले शिवदेश को सब मिल करी हैं जुहारें ।। गुरु उपदेशौ गिरवरदास को अरु पार लगावो ॥४॥
("मोरेलाल"की चाल-दामादके जीमते समय) आगू २ राम चलत हैं पीछे लछमन भाई मोरे लाल ॥१॥ तिनके पीछे भरत शत्रुघन शोभा बरनी न जाय मोरे लाल ॥२॥ राम हँसें लक्ष्मण मुसक्यावें कौन जनकजू की पौरेंमोरे लाल॥३॥ ऊंची अटरियां लाल किवरियां सूरज साट् द्वार मोरे लाल ॥४॥ जाय जु पहुंचे जनक जू के द्वारे अनहद वाजे वाजें मोरे लाल ॥५॥ मोर मुकुट मकराकृत कुण्डल चन्दन खौर विराजे मोरे लाल ॥६॥ चरण पखार हरष अति कीन्हों' उज्जल अक्षत माथे मोरे लाल ॥७॥ हाथ जोर शिरनाय जनक