________________
३
शिव रमणी सँग, मुशिव रमणी संग पाड़ो मांवर कटजाय भ्रमजाल ॥१३॥ शिव रमणी सँग सुक्ख निरन्त. र, सु सुक्ख निरन्तर, सु सुक्ख निरन्तर भोगी जन्म मरण भय टाल ॥ १४ ॥ व्याहु यखान के अरज करत इम, अरज करत इम, अरज करत इम, सो मेरे भो प्रभु भव दुख टाल ॥ १५॥ भूल पड़ी हो ठीक करी सुधि, ठीक करौ सुधि, ठीक करौ सुधि, अल्प वुदि कई नधमल बाल ॥ १६ ॥
(३३)
(“वनरा-विवाहमें ) मैं न अकेली जाऊं, सुमति बिन अडरही वनरा ॥ छोडी कुमति सी नारि, सुमतिसे अडरही बनग टेका। दया धरम इक माता यना की मोरे कहे से जाव,मुमनि विन अडरहौ यनरा ॥१॥ सोलह कारण काकी बनाकी मोरी गरज से जाव, सुमति विन अडरही धनरा॥२॥ दश लक्षण हैं पिता यनाके मोरी गरज से जाव, सुमति विन अडरहो यनरा ॥३॥ पंच महाव्रत काका बनाके मोरे कसे जाव, सुमति बिन अडरही यनरा ॥४॥ तीन रतन से भैया यनाके मोरे कह से जाव, सुमनि बिन अडरही वनरा ॥५॥ द्वादश भावना बहिनें यना. की, मोरी गरज से जाव, सुमति विन अड़रही धनरा ।।