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॥१३॥ काई लघु बुधि गिर
काई नदी बड़ाहर तीरपै जिन स्वामीजी ॥ काई प्रगटौ केवल ज्ञान सन्मति जन्मेजी ॥ ११॥ कांई पावापुर सरवर विर्षे जिन स्वामीजी ॥ कांई पहुंचे शिवपुर धाम सन्मति जन्मेजी ॥१२॥ कांई मम अरजी चित धारियो जिनस्वामीजी॥प्रभु वेग करहु भवपार सन्मति जन्मेजी ॥१३॥ कांई लघु वृधि गिरवरदास हैं जिनस्वामीजी। कांई दीजे चरणन साथ सन्मति जन्मेजी ॥१४॥
(९) ("बुंदेला" जन्मके समयका) समेला काना हो जइया रावजू ॥टेक॥ दोहा दीगाना करो हो भइया नाहिं भरौ मवाल ॥१॥ जव तो विपत पराइया हो भाई तब सुमरौ जिनदेव ॥२॥ बध बंधन सब छूटहीं हो परमातम पद ध्याय ॥३॥ अधिकी भीर भराभरी हो जिया आदि जिनन्द सुमिराय ॥४॥ तबहुं निसारा हुत्री हो चेतन धर सन्यास विचार ॥५॥ नगर चंदेरी बानियां हो गिरवर क्षारे वाल ॥ समेला काना हो ॥६॥
(“ बधाई” जन्मके समयकी) ऊंचौ सौ नगर सुहावनौ प्रभु झांझरिया ॥ जह समुदविजयजीको राज सुमति प्रभु झांझरिया ॥१॥