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कछु करत न बन टुकर मुकर मुग्व जावे कि हांजू ॥८॥ प्रभुको नाम कहावन लागे प्रकृति न झुटन छुटायें कि हांजू ॥ यये यमूल पाम रस चाहे सो कैमे कर पाये कि हांजू ॥९॥ यही जान कडु चेतहु चेतन फिरना रही मुलाने कि हांज ॥ रहनी नगर पसें सब श्रावक शान पुराण जु माने कि हांजू ॥ १० ॥ संवत् अटारास शुभ यीते पैतिस ऊपर कीजे कि हांजू ॥ कर जमकरन शरण प्रभु तेरे मोको निर्भय कीजे कि हांज ॥ ११ ॥
(“बधाई" जन्मके समयकी) ___ काई घर २ मँगलाचार जन्मन प्रगटाये ॥ टेक ॥ कॉई
आदि जिनेश्वर अजितनाथ जिनस्वामीजी, अभिनन्दन नाथ दयाल जन्मन प्रगटाये ॥१॥ कांह मुमनि अनन्न जिनेश्वरौ जिनस्वामी जी, कार्ड नमी अजुध्यायादि जन्मन प्रगटाये ॥२॥ काई संभव श्रावस्ती पुरी जिन. स्वामीजी, कोसंभि पदम जिनराय जन्मन प्रगटाये॥॥ काई यानरसी नगरी विपं जिनस्वामीजी, श्रीपाद
सुपारस देव जन्मन प्रगटाये ॥ ४ ॥ कोई चन्द्रपुरी । चन्द्रप्र जिनस्वामीजी, हरिपुर श्रेयांस जिनश जन्मन प्रगटाये ॥५॥ कांई यासपूज्य चंपापुरी जिनम्वामीजी, काकंदी सुमति जिनेश जन्मन प्रगटाये ॥ ६॥ कांद