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बोली हे प्रभु दिक्षा दीजे करूं कर्म को नाश ॥६॥ नेमीश्वर प्रभुने तप करके केवल ज्ञान उपायौ ॥ समवशरण में भवि जीवन को मोक्ष पंथ दरशायौ ॥७॥ जो पद प्रभू आपने पायौ सो अव मोकौं देहु ।। नाथूराम कहैं करजोरें ये भारी जसलेहु ।। जराय दैहौरे,मैं खिपायदैहौरे, इन दईमारे, कर्मों को जरायदैहौरे ॥ ८॥
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गीत-( हरसमय) बातौ, मड़रही दिन अरु रात, लाल करमन वश चौपड़ मडरही हो ॥ टेक ॥ बातो काहे की चौपड़ बनी अरु काहे की बनी सोलह गोट, लाल करमन वश चौपड़ मड़रही हो ॥१॥.बातो चारों गति चौपड़ बनी जग जीव बने सोलह गोट, लाल करमन वश चौपड़ मड़रही हो ॥२॥ वेतो काहे के पासे बने अरु काहे के घर कहलाय, लाल करमन वश चौपड़ मड़रही हो ॥३॥ वे ,तो चौरासी लख योनि हैं सो तो चौपड़ के घर जान; लाल करमन वश चौपड़ मड़रही हो ॥ ४॥ अरु राग द्वेष, दोई करम हैं सो तो उलट पुलट परें पांस, लाल करमन वश चौपड़ मड़रही हौ ॥५...... समताके -पाँसे परें सो नो कर्मों लेंगाय दये दाव, लाल करमन वश चौपड़ मड़रही हो ॥६॥ वेतौ गिरवर दास अर्जी