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२५ सुनत हो २६ " २७ , २८ नौबद पै डंका २९ रहम दिला ३० बनरा
सुमति सुनारी अरज करत है. मोह नीद तोहि देत असाता. पंच उदम्बर तीन मकार. दोय घड़ी जब रात गई है. मात गर्भ मे हुए जब वासी. मोरौ शिवपुर जावनहारौ बनरा. ऐसौ सुन्दर बनरा वौतौ. व्याहु की जा अति उत्तम चाल. मै न अकेलौ जाउं सुमति बिन. हियरे से लगालेती बनरे.
बनाके संग चलौगीरे. मोरौ सब भैयन सिरदार. व्याहन मुकति पुर धाये. लाला कर हथियनको मोल. तुम्हें बुलाय गईरे बन्ना. कविता वे तौ चेतन खेलत फाग भ्रमत २ बहुकाल गमायौ. ऐसी उत्तम कुलकू पायौ. तूने सार गमायौ. परत्रिय सेवन कहा फल होय.
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उपसहार ३८ फाग
भौरारे