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द्रव्याथि की नय सदा इस भांति गाता, है द्रव्य तो ध्रुव त्रिकाल अबाध भाता । 4 द्रव्य है उदित होकर नष्ट होता, पर्याय माथिक सदा इस भौति रोता ॥६९।।
द्रव्याथि के नयन में सब द्रव्य माते, पर्याय पर्थिवश पर्यय मात्र भाते । एक्सरे हमें हृदय अंदर का दिखाती, तो कैमरा शकल ऊपर की बताती ॥६९६।।
पर्याय गौण कर द्रव्यन को जनाता, द्रव्याथि की नय वही जग में कहाता । जो द्रव्य गौण कर पर्यय को जनाता, पर्याय अथिक वही यह शास्त्र गाता ।।६९७॥
जो शास्त्र में कथित नेगम, संग्रहा रे ! है व्यावहार ऋजु सूत्र सशब्द प्यारे । एवंभुता समभिरूढ़ उन्हीं द्वयों के. है भेद मूल नय सात, विवाद रोके ॥६९८॥
द्रव्याथि की सुनय प्रादिम तीन प्यारे, पर्याय अथिक रहें अवशेष मारे । हैं चार प्रादिम पदार्थ प्रधान जानो, हैं शेष तीन नय शब्द प्रधान मानो ॥६९९।।
सामान्य ज्ञान इतरोभय रूप ज्ञान, प्रख्यात नेक विध है अनुमान ! मान ! जानें इन्हें सुनय नैगम है कहाता, मानो उसे नयिक ज्ञान प्रतः सुहाता ॥३०॥
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