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________________ ॥ ७॥ धरम जिणे० ॥ १५ ॥इति।। ढाल ॥ प्रभुभी पधारो हौ नगरी हमतणी एदेशी ॥ बासु सैन नृप अचला पटरागनी।। तमु सुत कुल सिणगार हो सोभागी जनमति सँति करी निजदेसमें ।। मरी मार निवार हौ ॥ १॥ सोभागी० ॥ त जिनेसर साहिब सोलमो० ॥ आंकडी सीत दायक तुम नाम हो॥ सोभागी॥तन मन वचन सुधकर ध्यावता ॥ पूरै सबली हामहो ।।२। सोभागो ॥ विवन नव्यापे तुम 'सुमन कीयां ।। नासै दारिद्र दुखहो ॥ सोभागी ॥ अष्ट सिद्ध नव निद मिले ॥ प्रगटै नबला सुक्ख है। ॥ ३॥ सामागी० ॥ अहने सहाइक सँत: जिनँद तु ॥ तेहनै क्रुमी . यन काय हो । सोभागी॥ जेजे कारन मन
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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