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________________ ( ८१ ) अथ वस्तीके दृष्टान्त द्वारा सप्त नयोंका वर्णन ॥ फिर यह सप्त नय सर्व पदार्थों पर संघटित हैं जैसेकि किसी पुरुषने अमुक व्यक्तिको प्रश्न किया कि आप कहां पर वसते हैं ? तो उसने प्रत्युत्तरमें निवेदन किया कि मैं लोगों वसता हूं। __ यह अशुद्ध नैगम नयका वचन है। इसी प्रकार प्रश्नोत्तर नीचे पढियें ॥ पुरुषः-मिय महोदयवर ! लोक तो तीन हैं जैसेकि स्वर्ग मृत्य पाताल; आप कहां पर रहते है ? क्यों तीनों लोकोंमें ही वसते हैं ? व्यक्तिः-नहीजी, मैं तो मनुष्य लोगमें वसता हूं ( यह शुद्ध नैगम नय है)॥ ____पुरुषः-मनुष्य लोगमें असंख्यात द्वीप समुद्र है, आप कौनसे द्वीपमें वसते हैं ? व्याक्तः-बूद्वीप नामक द्वीपमें वसता हूं ( यह विशुद्धतर नैगम नय है)। पुरुषः-महाशयजी ! जंबूद्वीपमें तो महाविदेह आदि अनेक क्षेत्र हैं, आप कौनसे क्षेत्रमें निवास करते हैं ? व्यक्तिः-मैं भरतक्षेत्रमें वसता हूं ( यह अति शुद्ध नैगम नय है)।
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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