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________________ ( ५९ ) भाषार्थः-( पूर्वपक्षः ) सर्व वैधर्म्यताके उदाहरण फिल प्रकारसे होते हैं ? ( उत्तरपक्षः ) सर्व वैधयंताके उदाहरण नहीं होते हैं किन्तु फिर भी सुगमताके कारणसे दिखलाये जाते हैं, जैसे कि-नीचने नीचके सामान ही कार्य किया है, दासने दासके ही तुल्य काम कीया है, काकने काकवतही कृत किया है वा चांडालने चांडाल तुल्य ही क्रिया की है सो यह सर्व वैधर्म्यताके ही उदारण हैं । इसलिये जहांपर ही सर्व वैधोपनीत उपमान प्रमाण पूर्ण होता है इसका ही नाम उपमान प्रमाण है। इसके ही आधारसे सर्व पदार्थोंका यथायोग्य उपमान किया जाता है ।। अब आगम प्रमाणका वर्णन करते हैं । मूल ॥ सेकिंतं आगमे दुविहे पं. तं. लोश्य लोगुत्तरिय सेकित्तं लोइय २ जनइमं अन्नाणीहि मिच्छादिट्ठीहिं सबंद बुद्धिमइ विगप्पियं तं नारदं रामायणं जाव चत्तारि वेया संगोवंगा सेत्तं लोश्य आगमे॥ ____भाषार्थ:-श्री गौतम प्रभुजी भगवानसे प्रश्न करते हैं कि हे प्रभो ! आगम प्रमाण किस प्रकारसे वर्णन किया गया है ?
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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