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________________ (३३) है उसका नाम अभव्य स्वभाव है ॥ १०॥ जो गुणों में ही विराजमान हैं अर्थात् जो निज भावोंद्वारा निज सत्तामें स्थिति करता है उसका नाम परम स्वभाव है ॥ ११॥ ___ यह तो ११ प्रकारके सामान्य स्वभाव हैं। विशेष भावों का अर्थ लिखता हूं। जो चेतना लक्षण करके युक्त है सुखदुःख___ का अनुभव करता है, ज्ञाता है, सो चेतन स्वभाव है ॥ १॥ जिसमें उक्त शक्तिये नहीं हैं शून्य रूप है उसका नाम अचेतन स्वभाव है ॥ २ ॥ और जिसमें रूप रस गंध स्पर्श है उसका ही ___ नाम मूर्तिमान् है, क्योंकि मूर्तिमान पदार्थ रूपादिकरके युक्त हो___ता है ।। ३ ॥ जिसमें रूपरसगंधस्पर्श न होवे उसका नाम अमूतिमान है जैसे जीव ॥ ४ ॥ जैसे परमाणु पुद्गल आकाशादिकके एक प्रदेशमें ठहरता है सो एक प्रदेश स्वभाव है अर्थात् स्कंध देश मदेश परमाणु पुद्गल इस प्रकारसे पुद्गलास्तिकायके चार भेद किए हैं ॥ ५॥ जो धर्मास्ति आदिकाय हैं वह अनेक प्रदेशी कही जाती है तिनका नाम अनेक प्रदेशी स्वभाव है ॥ ६ ॥ जो रूपसे रूपान्तर हो जावे जैसे पुद्गल द्रव्यके भेद है उसका नाम विभाव स्वभाव है ॥ ७॥ और जो अपने अनादि कालसे शुद्ध स्वभावमें पदार्थ
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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