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________________ ( १५९ ) १० आभरणविहं-आभूषणोंका परिमाण । ११ धूवविहं-धूपविधिका परिमाण अर्थात् धूपयोग्य चस्तुओंके नाम स्मृति रखके अन्य वस्तुओंका परित्याग करना । १२ पिज्जाविह-पीनेवाली वस्तुओंका परिमाण करना । १३ भक्खणविहं-भक्षण ( खाने ) करनेवाली वस्तुओंका परिमाण। १४ उदनविह-शाल्यादि धानादिका परिमाण । १५ सूफविहं-शूपा (दाल) दिका परिमाण । १६ विगयविहं-दुग्ध, घृत, नवनीत, तैल, गुढ़, मधु, दधि, इनका परिमाण करना । १७ सागविहं-शाक विधिका परिमाण अर्थात् जो वनस्पतिये शाकादि परिपक करके ग्रहण की जाती हैं। १८ महुरविहं-फलोंका परिमाण । १९ जीमणाविहं-व्यञ्जनादिका परिमाण जैसेकि मसालादि। २० पाणीविहं-पाणीका परिमाण कूपादिका तथा अन्य जल। २१ मुखावासविह-ताम्बूलादिका परिमाण । २२ वाहणविह-वाहण विधिका परिमाण अर्थात् स्वारि का परिमाण ।
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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