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________________ ( ११४ ) कारण वशात् लघु व्यवस्थामें ही विवाह हो गया तो लघु व्यवस्थायुक्त स्त्रीके साथ संभोग न करे, यदि करे तो प्रथम अतिचार है १ । अथवा यदि उपविवाह हुआ उसके साथ संग करना जिसको मांगना कहते हैं २ | कुचेष्टा करना अर्थात् कामके वशीभूत होकर कुचेष्टा द्वारा वीर्यपात करना ३ | तथा परका मांगना किया हुआ उसको आप ग्रहण करना ( उपविवाहको ) ४ । और कामभोगकी तिव्र अभिलाषा रखनी ५ | इन पांच ही अतिचारोंको त्यागके चतुर्थ स्वदार संतोषी तको शुद्धता के साथ धारण करे क्योंकि यह व्रत परम आल्हाद भावको उत्पन्न करनेहारा है । फिर पंचम अनुव्रतको धारण करे जैसे कि - इच्छा परिमाण व्रत विषय ॥ इवा परिमाणे ॥ मित्रवरो ! तृष्णा अनंती है, इसका कोई भी थाह नही मिळता | इच्छाके वशीभूत होते हुए प्राणी अनेक संकटों का सा मना करते हैं, रात्री दिन इसकी ही चिंतामें लगे रहते हैं, इसके ये कार्य अकार्य करते लज्जा नही पाते और अयोग्य कामोंलिये भी उद्यत हो जाते हैं, परंतु इच्छा फिर भी पूर्ण.
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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