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(१३) धर गारत हुवे ( वरवाद हुवे ), शराव के परताप से ॥ टेर १६ शराबी शोख महा युरा, युदकी खबर रहती नहीं। जाना कहां भावे कहां, शराब के परताप से ॥ १ ॥ इज्जत और दानिशमदी, जिस पर दे पानी फिरा। धनवान कई निर्धन बने, शराबके परताप से ॥ २॥ वकते २ हँस पड़े और, चौंक के फिर रो उटे । वेहोश दो हथियार ले, शराव के परताप से ॥३॥ चलते२ गिर पडे, कपड़ा हटा निर्लज्ज बने । पविख्य भिनक मुंह पर करे, शराव के परताप से ॥ ४ ॥ जेवर को लेवे खोल लुचे, ले
र से पैसे निकाल ! कुत्ते देवे मृत मुह पर, शराब के परताप से ॥५॥ इन्साफ को करते बदल जो, हज़ार की रक्षा करें। खुद की रक्षा नहीं बने, शराब के परताप से ॥ ६॥ कम उमर में मर गये, कई राज्य सजों का गया । यादवों का क्या हुवा इस, शराब के परताप से ॥ ७ ॥ नशे से पागल वने, पुलिस भी लेरे पकड । कानून से मिलती सज़ा, शराब के परताप से ॥८॥ घाट साने वह कमाये, खर्च रुपये का करे । चोरी को फिर वह करे, शराब के परताप से 116 || जैन वैष्णव, मुसलमान, अंजील में भी है मना । कई रोगी वनगये, शराब फे परताप से ॥ १०॥ चौथमल कहे छोडदे तू , मान ल प्यार अज़ीज़ । माराम कोई पाता नहीं, शरार के परनाए से ॥ ११