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..जैनधर्मामृत
५ परिग्रहत्यागमहाव्रत चेतनेतरवाह्यान्तरङ्गसङ्ग-विवर्जनम् ।
ज्ञानसंयमसगो वा निर्ममत्वमसमता ॥७॥ चेतन और अचेतन तथा बाह्य और अन्तरंग सर्व प्रकारके परिग्रहको छोड़ देना और निर्ममत्व भावको अंगीकार करना, अथवा ज्ञान और संयमका ही संगम करना सो असंगता नामक परिग्रह त्याग महाव्रत जानना चाहिए ||७||
पञ्च समितियाँ ईर्यामाषणादाननिक्षेपोत्सर्गसंजिकाः ।
व्रतत्राणाय पञ्चताः स्मृताः समितयो यतेः ॥८॥ ईर्यासमिति, भाषासमिति, एषणासमिति, आदाननिक्षेपणसमिति और उत्सर्गसमिति ये पाँच समितियाँ साधुके पाँच महाव्रतोंकी रक्षाके लिए कही गई हैं ॥८॥ .
१ ईर्यासमिति पुरो युगान्तरेऽक्षस्य दिने प्रासुकवर्मनि ।
सदयस्य सकार्यस्य स्यादीर्यासमितिर्गतिः ॥९॥ .. दिनमें मार्गके प्रासुक हो जाने पर सामने चार हाथ भूमिको ... शोधते हुए कार्यवश गमन करनेवाले दयालु साधुके ईर्यासमितिरूप गति होती है ॥६॥
२ भाषासमिति भेदपैशुन्यपरुषप्रहासोक्त्यादिवर्जिता । ... हितमितनिःसन्देहा भापा भाषासमित्याख्या ॥१०॥ दूसरेका भेद करनेवाली, पैशुन्य, परुष, प्रहासोक्ति आदिसे