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* श्री *
जैन धर्म परिचय |
नमः श्री वर्द्धमानाय निर्धूत कलिलात्मने । सालोकानां त्रिलोकानां यद्विद्या दर्पणायते ॥
जिस जैन धर्म का हम यहां पर संक्षिप्त परिचय देना चाहते हैं उस जैन धर्म का उदयकाल का (यानी उत्पत्ति के जमाने का ) पता लगाना प्रचलित इतिहास और उसके बनाने वाले ऐतिहा सिक बिद्वानों के लिये बहुत कठिन ही नहीं किन्तु असम्भव बात है। क्योंकि प्राचीन से प्राचीन शिला लेख, मूर्तियां: खण्डहरों आदि इतिहास सामग्री से जैन धर्म का अस्तित्व बहुत पहले जमाने में मानना पड़ता है यह तो ठीक है किन्तु वह कब किसने उत्पन्न किया ? किस महात्मा ने कब उसकी नीव डाली ? यह बात किसी भी ऐतिहासिक साधन से सिद्ध नहीं होती । इस कारण इतिहास वेत्ताओं को मानना पड़ता है कि जैन धर्म बहुत पहले जमाने से चला आ रहा है ।
इस विषय में प्राचीन जैन इतिहास का उल्लेख करने वाले जैन ग्रन्थ (पुराण) जैन धर्म का उदय काल भरत क्षेत्र में आज से करोड़ों अरबों वर्षों पहले के जमाने में मानते हैं । वह इस तरह है: