________________
(२१)
अभाव में असमर्थ हैं । अतः पशु गतिमें तो दशा सुधारनेका कोई कारण उपलब्ध नहीं है। परन्तु इस मनुष्यावस्थामें जीवात्माओंको अपनी दशा सुधार इस जीवन और अन्य जीवनकी पीड़ाओंसे छुटकारा पानेकी उपयुक्त अवस्था प्राप्त है। जो दुःखोंसे जल्दी छुटकारा दिला सुखका उपभोग कराए वही वास्तविक सभ्यता है और यही न्यायकी तीव्रालोचनासे भी सिद्ध है न कि वह आधुनिक सभ्यता जो इंद्रिय विषय वासनाओं में फंसा हमें पशु सटश बनाने में कुछ कसर नहीं रखती । आधुनिक सभ्यतामें ध्यान देने योग्य विषय वर्तमा व्यय है । आजजीवन - निर्वाह-व्यय
नमें जीवन निर्वाह
कल दिनोदिन यह
अथवा ग्रहस्थीका खर्च बढ़ता जाता है। इस