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: एक: १-न्याय शब्द के अर्थ :(क) नियम युक्त व्यवहार न्यायालय आदि प्रयोग इसी अर्थ में
___ होते हैं। (ख) प्रसिद्ध दृष्टान्त के साथ दिखाया जाने वाला मादृश्य, जैसे
देहली-दीपक न्याय । (ग) अर्थ की प्राप्ति या मिद्धि ।
न्याय-शास्त्र में 'न्याय' शब्द का तृतीय अर्थ ग्राह्य है। २-मितु न्याशश ३-विरुद्धनानायुक्तिप्राबल्यदौर्बल्यावधारणाय प्रवर्तमानो विचारः परीक्षा।
-न्या० दी० पृ०८ . ४-भिक्षु० न्या. शश ५-स्था० १०१७२७ ६-भिक्षु० न्या० शा ७-भिक्षु न्या. १०३ -मिद्धिरसतः प्रादुर्भावोऽभिलपितप्राति भव-जतिश्च। तत्र ज्ञापकप्रकरणाद् असतः प्रादुर्भावलक्षणा सिद्धिर्नेह गृह्यने ।
-प्र० क० म० पृ०५ ६-(क) अहो मुचं वृषभं यशियान विराजन्त प्रथममध्वराणाम् । अपा न पातमश्विना हुवेधिय इन्द्रियेण इन्द्रिय दत्तमोजः ।
अथर्व का१२४ अर्थात् - सम्पूर्ण पापों से मुक्त तथा अहिंसक वृत्तियों के प्रथम राजा
आदित्यस्वरूप श्री ऋपभदेव का मैं श्रादान करता हूँ। वे मुझे
बुद्धि एव इन्द्रियों के साथ वल प्रदान करें। (ख) भागवत स्वन्ध ५, १० ।