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________________ namaARa man - woman- -- बैरी कर्म बड़े बल बीर, देते सब जीवों को पीर । न्यामत हो रहा अधम अधीर, तुमहीं धीर बँधाने वाले ॥५॥ R - तर्ज ॥ अमोलक मनुष्य जनम प्यारे ॥ दया दिल में धारो प्यारे । दया बिन बृथा जतन सारे॥टेक दया धरम का मूल है प्यारे कहते वेद पुराण । कहीं जीव का मारना नहीं आता बीच कुरान ।। किसी को पढ़ देखो प्यारे ॥ १ ॥ सुबुकतगी को रहम था एक हरनी पे आया। रहमदिली से राज जाय गढ़ गजनी का पाया ।। दया का फल देखो प्यारे ॥२॥ दान शील तप भावना प्यारे संजम ज्ञान बिचार । एक दया बिन जानियो प्यारे हैं निर्फल बेकार ॥ नीर बिन ज्यों सरवर प्यारे ॥३॥ प्राण सबों के जानियो प्यारे अपने प्राण समान । प्राण हतेगा और के प्यारे होगी तेरी हान ॥ सहेगा दुख लाखों प्यारे ॥ ४ ॥ दया करत संसार सुख प्यारे दया देत निर्वाण । न्यामत दया न छोड़ियो चाहे छूट जांय सब प्राण ॥ दया दुख सागर से तारे ॥ ५॥ Meine तर्ज ॥ पहलू में यार है मुझे उसकी खबर नहीं ॥ | जब हंस तेरे तनका कहीं उड़के जायगा। - - - -
SR No.010208
Book TitleJain Bhajan Shataka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyamatsinh Jaini
PublisherNyamatsinh Jaini
Publication Year
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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