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(४४) देहको छोड़ेंगे तो देह नई पावेंगे। जीव मरता है नहीं मरने से डरना क्या है। वे धरम० ॥ ३ ॥ .. करपर उपकार मरे बाद रहेंगे जिन्दा।। नाम जिनका रहे जिन्दा उन्हें मरना क्या है ।। वेधरम० ॥४ राम रावण से बली भीम से जोधा प्यारे ! सारेही खाक हुए हमको अकरना क्या है। वे धरम० ॥ ५ ॥ जिंदगी का तो नहीं कुछ भी भरोसा न्यामत । करले जो करना है फिर अन्तमें करना क्या है। वे धरम ० ॥६॥
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___ वर्ज । इलाजे दर्द दिल तुमसे मसीहा हो नहीं सकता । बिना सम्यक्त के चेतन जनम विस्था गंवाता है। तुझे समझाएं क्या मूरख नहीं तू दिलमें लाता है ।। टेक ॥ अथिर है जगत की सम्पत समझले दिलमें अय नादां । । राव और रंक होने का यूंही अफसोस खाता है॥ १॥ ऐश इशरतमें दुख होवे कहीं दुखमें महा सुख हो। क्यों अपने में समझता है यह सब पुद्गलका नाता है ।। २१ बिनाशी सब तु अविनाशी इन्हों पे क्या लुभाता है। निराला वेष है तेरा हु क्यों परमें फंसाता है ॥ ३ ॥ पिता सुत बन्धु और भाई सुहेली संग की नारी।। सुवास्थ को सभीयारी भरोसा क्या रखाता है ॥ ४ ॥
अनादी झूल है तेरी स्वरूप अपना नहीं जाना। || पड़ा है मोह का परदा नजर तुझको न आता है ॥ ५॥
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