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सुयश तेरा सुना तुमहो हितू सबके बिना कारण । शरण आकरगहीन्यामत उतारो हे तरण तारण ॥ ५॥
तर्ज ॥ हमारे प्रभु मुकत वरण गएरी। पाकी बात मोहे भाई जान जीवों
की वचाई जी ॥ हमारे॥
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आली आज सारे विघन हरण भएरी। सबका भरम मिटाया। शिव मग दर्शाया ॥ आली आज सारे बिघन हरण भएरी ॥ टेक ॥
दोहा। आए जिन जब गर्भ में, माता पिछली रैन। अकस्मात स्वप्ने लखे, सोला सब सुख देन ॥
झड़ी। बात पीया को सुनाई । सुन फल हर्षाई ॥ सारे नगर में रतन बरसन भएरी॥आली०॥१॥
दोहा। जनम भया जिनराज का, सुर नर खग हर्षाय । गिर सुमेरु पे लेगए, जय जयकार कराय॥
__ झड़ी। क्षीरो दधि मरलाए । भुज सहस बनाए । कर न्हवन जिनेन्द्र के भवन गयेरी आली० ॥२॥
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