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जद जीव नहीं देखियो, टू कड़ा कौधा च्यार ।,
आठ सोला संख्या किया, जीव काया नहौं न्यार ॥३॥ . नीव निकलतो देख लें, तो मानत मन साच । . तिण कारण महा मुनि, म्हारो मत छै साच ॥४६
॥ ढाल १५ मी ॥ . गुरु कहै राजा तू एहवा ए। कठियारा सूरख जेहवा ए। राय कहै वलि एम ए। कठियारा सूरख केम ए ॥ १॥ गुरु बोल्या चोज लगाय ए। सांभलप्रदेशी राय ए। कठियारा अटवी बाट में ए । भेला, हुवा चाल्या काठ ने ए॥२॥ आघा अटवी मांही जाय ए। मिसलत कोधी मन मांय ए । कठियारा एकण भगौ ए। दोनो भोलावण भोजन, तणौ.ए. ॥३॥ रहे काठ ले आवां इतर ए। तू भोजन त्यार करो जितरे ए । लकडी थोडी थोडी कर आपस्यां ए। थांरभारी कर थापस्यां ए ॥ ४ ॥ तूं रखे प्रमाद, में लाग ए। कदास बुझ जावेली आग ए। तो अरणी, मांही सं काढ,ए। देने काम सिराणे चाढए ॥ ५.५ इम सौखावा दोधौ घणो ए। आया चाल्यो अटवी भणी ए। लारे नोंद तणे बश थाय ए । अग्न खोरो गयो बुझाय -