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।- ( १४७ ) १० धर्मास्ति अनें अधर्मास्ति एक के दोय दोय; किण
न्याय धर्मास्ति को तो चालवा नो सहाय छै।
अनें अधर्मास्तिनो थिर रहवानों सहाय छै। ११ धर्म अने धर्मी एक को दोय एक छै; किणन्याय
धर्म जीवका चोखा परिणाम है। १२ अधर्म अने अधर्मी एक के दोय एक छै; किण
न्याय अधर्म जीव का खोटा परिणाम है।
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