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( १२६ ) जीव पर ममत्व भाव न करे। . २ अजीव छांडवा जोगके आदरवा जोग, छांडवा · जोग छै किणन्याय अजीव छै। ३ पुन्य छांडवा जोगके बादरवा जोग, छांडवा
जोग ते किणन्याय पुन्य ते शुभ कर्म पुगल
छै कर्म ते छोडवा ही जोग छै। ४ पाप छोडवा जोगके आदरवा जोग, छांडवा जोग
छै किणन्याय पाप ते अशुभ कर्म छ जीवने दुखदाई छै ते छांडवा जोग छै ! ५' आस्रव छांडवा जोगके आदरवा जोग, छोडवा
जोग छै किणन्याय आस्रव हार जीवरे कर्म लागे छै आस्रव कर्म भावानां बारणा छ ते
छांडवा जोग छ। ६ संबर छांडवा जोगके आदरवा जोग, आदरवा
जोग छै किणन्याय कर्म रोके ते संबर के ते
आदरवा जोग छ । ७ निर्जरा छांडवा जोगके आदरवा जोग, आद. रखा जोग छ किणन्याय देशथी कर्म तोडे देशथी जीव उज्जल थाय ते निर्जरा है ते ओदरवा
जोग छ। ८ बन्ध छोडवा जोगके आदरवा जोग, छांडवा
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