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। ११६ ) २० बीसमें बोले षट द्रव्यको जाण पणो
धर्मास्तिकायनें पांचा बोलां ओलखीजेःद्रव्यथको एक द्रव्य खत्री लोक प्रमाणे काल थको आदि अन्त रहित भावयौ अरूपी गुणथको जीव पुद्गल ने हालवा चालवा को साझ, अधर्मास्तिकायन पांचा बोलां अोलखोजेःद्रव्यथौ एक द्रव्य खेवधी लोकप्रमाणे कालधको आदि अन्त रहित भावथो अरूपी गुणथी थिररहवानों साझ । आकाशास्तिकायनें पांच बोल करौ भोलखोजेः-द्रव्यथौ एक द्रव्य खेवथी लोक अलोक प्रमाणे कालथी आदि अंत रहित भाव थौ अरूपौ गुणथी भाजन गुण । कालने पांचा बोलां करी ओलखोजे:-द्रव्यथौ अनन्ता द्रव्य खेवथी अढ़ाई द्वौप प्रमाणे कालथी आदि अन्त रहित भावथी अरूपी गुणधौ वर्तमानगुण । पुद्गलास्तिकायनें पांच वोलकरी पोलखोजेःद्रव्यथौ अनन्ता द्रव्य खेवथी लोक प्रमाणे काल यो आदि अन्त रहित भाव घो रूपी गुणथी गले
ॐ मैले। जीवास्तिकायनें पांच बोल करी ओल' खोजे:-द्रव्यों अनन्ता द्रव्य खत्री लोक प्रमाणे