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२ ॥ ढाल ॥
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. ( जीव मारै ते धर्म आछो नवि एदेशी) , ... आज्ञा में धर्म है जिनराजे रो, आजा बारै कहै ते खूढ रे। बिबेक विकल सुध बुध बिना, ते बूडे के कर कर रूढ़ रे, श्रौजिन धर्म जिन आगन्या तिहां ॥१॥ ज्ञान दरशण चारित ने तप, एतो मोखरा मारग च्यार रे। यां च्यारां में जिनजी री आगन्यां, यां बिना नहीं धर्म लिगार रे ॥ श्री ॥ २॥ यां च्यारां मांहला एक एक रौ, आज्ञा मांगै जिनेश्वर मास रे । तिण ने देव जिनेश्वर आगन्या, जब ओ मामै मन में हुलास रे ॥ श्री ॥ ३॥ यां च्चारां बिना मांगे कोई आगन्या, तो जिनेश्वर साझे सून रे। तो जिन आगन्या बिना करणी करै, ते करणी छै जाबक जबून रे॥श्री ॥४॥ घौसा भेदां रूकै कर्म आवतां, ‘बारै भेद कटै पन्धिया कर्म रे । त्याने देवै जिनेपूर्वर आगन्या। ओहिज जिण भाष्यो धर्म रे ॥ श्रौ ॥ ५॥ कर्म रूकै तिण करणी में आगन्या, कर्म कटै तिण करणी में जाण रे। यां दोयां करणी बिना नवि आगम्या, ते सगलौ सावध पिकाय रे॥ श्री ॥ ६ ॥ देव अरिहन्त मे गुरू साध छै, केवली भाष्यो ते धर्म रे। और धर्म नहीं जिन आगन्या, तिण