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। ७७ ) २ मतिज्ञान ना दोय भेद १ श्रुत निश्चित २ अश्रुत निश्चित । तिहां जे सूत्र विना हो ४ बुद्धि करी सूत्र सूं मिलतो अर्थ ग्रहण करे, सूत्र विना हो बुद्धि फैलावै ते अश्रुत निश्चित मतिज्ञान नो भेट कह्यो छै। बली कह्यो पूर्वे दौठो नहौं सुख्यो नहीं ते अर्थ तत्काल ग्रहण करै ते उत्मात नौ बुद्धि अश्रुत निश्चित मतिज्ञान नो भेद कह्यो।
(साख सूत्र नन्दी) ३ जे भारत रामायणादिक मिथ्या दृष्टि ना कौधा ते मिथ्या दृष्टि रे मिथ्यात्व पणे ग्रह्या अने सम्यग्दृष्टि रे सम्यक्त पणे ग्रह्या।
(साख सूत्र मन्दी) ४ च्चार प्रकार ना काव्य कह्या १ गद्यबन्ध २ मद्यबन्ध ३ कथाकरी ४ गायवेकरी।
(ठाणांग ठा०४ उ०४) ५ गाथाई करी बाणो करो, बाणो कथी एहवु कह्यो।
(उत्तराध्ययन १० १३ गा० १२) ६ वाजा रै लारै ताल मेली गायों दण्ड कह्यो।
(निशोथ उ०१७ बोल १४०