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( ५४ )
पारणो कौधो ते लोकां ने विस्मय उपजायवा
भणी ।
( उववाई प्रश्न १४ )
८ साधु अमेरा ने विस्मय उपजावै तो चौमासी प्राय
चित को ।
( निशीथ उ०११ )
प्रायश्चिताऽधिकारः
१ सौही अणगार मोटे २ शब्द रोयो ।
( भगवती श० १५)
२ ते साधु पाणी में पाली तराई ।
( भगवती श० ५० ४ )
३ रहनेमी, राजमती ने विषय रूप वचन वोल्यो । ( उत्तराध्ययन अ० २२ गा० ३८ )
४ धर्मघोषना साधां नागश्री ब्राह्मणी ने बाजार में
हेली निन्दी |
( जाता अ० १६ )
५ सेज़क ऋषि ने उसनो पासयो को
( जाना अ० ५ )