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થયું
'जैनवाल गुडका प्रथमं भागं
बड़े धर्मात्मा थे हररोज अपना नित्य नियम करना भगवान का पूजन करना जीव दया पालना कोडो मो मरने से बचानी महा दयावान सहा क्षमावान मंहा शांत परणामी सत्य बोलने वाले मांस शराव वगैरा समक्ष्य के त्यागी छल छिद्र न करने वाले थे जब पंजाब के भादमियों ने इन का ऐसा चलन देखा पंजाब के आदमी घड़े सीधे थे सय ने यह कहा इन के ईश्वर की भक्ति अपने धर्म नियम में भाव बढे हुये हैं सब यही कहते थे कि इन के भाव घढे हुये हैं सो वह शब्द विगड कर भावडे बन गया सो यह संसारी जीव धन दौलत कुटंब की मुहयत में उलझे हुये हैं इस से निकल कर जिस के भाव चढ जावे तरक्की पाजावें शुद्ध होजाने की यादगार में लग आवे सो भाव कहलाते हैं |
दिगम्बरियों में कितने थोक
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दिगम्बरियों में पहले तीन, थोक थे भष चार होगये हैं ? तेरह पंथी २ बीस पंथी ३ समैया जैनी ४ शुद्धभास्ताय ।
१३ पंथी किस को कहते हैं ।
पांच महावत पांच समिति तीन गुप्ति इन तेरह प्रकार के चारित्र पालने वाले ओ दिगम्बर महामुनि उनके पैरोकार (माननेवाले) जो श्रावक वह तेरहपंथी कहलाते हैं बीस पंथी किस को कहते हैं ।
पील पंधी की घायत सोमप्रभ आचार्य ने ऐसा लिखा है :- मर्कितीर्थंकरे.गुरौ जिनमते संघे च हिंसानृतस्तेयाब्रह्मपरिग्रहाद्युपरमं क्रोधाद्यरीणां जयं सौजन्यंगुणि सकमिन्द्रियदमं दानं तपो भावनांवेराग्यं च कुरुष्वनिर्वृतिपदे यद्यस्तिगंतु मनः ।
अर्थ-३ भब्य जो मोक्षमार्ग में जाने की इच्छा है तो१तोर्थंकर की भक्ति (पूजन) २ गुरु भक्ति १ जिनमतभक्ति ४ संघभक्ति इन ४ प्रकार की भक्ति का तो करना और हिंसा अनृत (झूठ) ३ स्तेय (चोरी) ४ अब्रहा (पर पदार्थ में आत्म बुद्धि) (या परस्त्री भोगादिक) ५ परिग्रह इन पांचका त्याग ओर १ क्रोध २ मान ३ माया ४ लोभ इन चार दुशमनों का जीतना सुजनता गुणियों की संगति ३ इंन्द्रिय दमन ४ दान ५ तप ६ भावना और वैराग्य यह कार्य कर इन बीस पंथों ( रास्तों पर चल ।
यह बीस बातां मानने वाले बोस पंधी कहलाते हैं ।
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१३ पंथी २० पंथी में क्या फरक ॥
1 तेरह पंथी बोस पंथी दोनों थोकों के शास्त्र तो एक ही हैं दोनों के दिगम्बर