________________
जैनबालगटका मयम भाग। यह कोडे अंदर जाकर अकसर मर जाते हैं इस से जीव हिंसा का महापाप लगता है और सिवाय इस के बाज किसम के कीडे जहरीले होते हैं उन के पिये जाने से हैजा वगैरा अनेक किसम की बिमारियां शरीर में उत्पन्न होजाती हैं उन बहरोलें कीडों में एक किसम का सूक्ष्म कीडा नारवा होता है मनछांना जलं पोने वाले से वह कोडा जल में रला हुवा पिया जाता है इस किसम का कीड़ा इलाके राजपूताना, मदरास, अहाता बम्बई वगैरा दक्षिण देश के जल में बहुत पाया जाता है, उन प्रांतों के इनसान जब अमछाने जल से स्नान करते हैं, या हाथ मूह धोते हैं या कुरला करते हैं या पीते हैं तो वह ऐसा बारीक हुवा रहता है कि पिया जाने के इलावे बदन की खाल में भी रास्ता बना कर बदन के अंदर चला जाता है और यह इस किसम का जानवर है कि पिया जाने ले या दूसरी तरह अंदर वला जाने से जिस प्रकार भग्नि पर सिरफ दाल गल जाती है कुडकू नहीं गलता इसी प्रकार यह अंदर जाकर भरता नहीं है वहां किसी जगह खाने दार झिल्ली में दाखल हो कर मांस खाता रहता है और परवरिश पाने लगता है और बच्चे देता रहता है आठ नौ माह तक जिस्म के अंदर ही अंदर बढ़ना हुवा जब जिस्म के बाहिर निकलता है तो उस जगह जिस्म पर खारिश सी होकर फफोला दिखाई देता है फिर खास उसी जगह दरद और सोजिश होकर कई दिन के बाद कीडे का मुह नजर आता है फिर ज्यू ज्यूं पढ़ता रहता है वाहिर निकलता रहता है इस प्रकार वर्षों दुःख देता रहता है और शरीर के जिस हिस्से या नसमें होता है उस में सोजिश होकर पोप पडं जाती है भनेक इनसान इस तकलीफ से मरजाते हैं और बैंचने से यह जिस्म के अंदर टूट जाता है तो फिर जो कोडे उस नारवे के बच्चे जिस्म के अंदर होते हैं टूट जाने को धजह से जिस्म के अंदर फैलजाते हैं जिससे इनसान को बहुत दुःख भुक्तना पड़ता है। . .
अनछाना पाने पीने वाले अनेक चार रात्री के समय अंधेरे में वगैर छाना जल पीते हुए जल में रले हुए वाल, जोंक के सूक्ष्म बच्चे या गिरे चढे कान सलाई कान खजूग, विच्छू चंगै पोजाते हैं हस्पतालों में ऐसे अनेक केस देखने में आए हैं यह संघ अनछाना जल पीने की कृपा है इसलिये सिवाय जीव हिंसा के पाप के अनछाना जलं पोने से और भो अनेक प्रकार की तकलीफे भोगनी पड़ती हैं। ... सिवाय इस के देखो जिसके सिर पर कमी टोपी देखोगे उस को तुम यह समझोगे कि यह मुसलमान है। जिसके गले में जनेऊ 'देखोगे उसे तुम ब्राह्मण