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जैनबालगुटका प्रथम भाग। ३ भाधव-शभ और अशुभ कर्मों के माधने का नाम माश्रय है अर्थात जिस परिणाम(क्रिया)से जीवके शभ और अशुभ कर्मका भागमनहो उसकानाम आश्रवहै ।।
४ वन्धमात्माके प्रदेशों से कर्मका जुड़ना इसका नाम बंध है यहां इतनी बात और जान लेनो कि जिस प्रकार स्वर्ण आदि पदार्थ के साथ स्वर्ण आदि जुड़ कर हो जाते हैं इस तरह कर्म आत्मा से बंध रूप नहीं होता जीव निराकार है यानि माकार रहित है और अजीव (जड) भाकार सहित ह सो भाकार रहित की साथ आकार सहित जुड़ नहीं सकता इसका सम्बन्ध इस तरह है कि किसी संदूक में ऊपर नीचे आदि छहों तरफ मकनातोस पत्थरके देले लगाओ उनके बीचमै लोहा रखो सो छड़ों तरफ मिकनातीसकी कशिशसे वह लोहा इधर उधर कहीं भी नहीं जा सकता जहां उस संदूकको लेजाओगे चहाही लोहा जावेगा इसी तरह जीवके हरतरफ कर्म हैं. जहां कर्म इसको ले जाते हैं वहां इसे जाना पडता है जीव कर्मों को साथ नहीं ले जाता क्योंकि जीवमें तो उर्द्ध गमन स्वभाव है सो जो जीव कर्माको साथ लेजाता तो ऊपर को स्वर्गादिक में जाता नोचे नरकादिक में न जाता सो कर्म जीव को ले जाते हैं।
५ सम्बर-आवते फर्माको रोकना इसका नाम सम्बर है अर्थात् रोकन का नाम नमाने देने का नाम सम्बर है सो जिस क्रिया या परिणाम से शुभ या अशुभ कर्म भावे उस रूप न प्रवर्तना सो सम्बर है । अर्थात् परिणामों को अन्य विकल्पों से हटाकर अपने मामा (निज स्वरूप) के चितवन में ही काबू रखना सो संबर है।
६-निर्जरा नाम कर्म के कम होने का है कर्मका घटना या 'कमजोर होना इसका नाम निर्जरा है जैसे एक पक्षीको धूप में रख कर उसके ऊपर बहुतसो से जल से भिगोकर रखदो वह पक्षो उसके भार (बोझ) से दवेगा,धूप की तेजी से उस ई का जल कम होने से उसका बोझ घटेगा इसी तरह तप संयम में प्रवर्तन करने से तप रूपी धूप से कर्म कपो जल घटेगा इसी कमी होने का नाम निर्जरा है। : .
७-मोक्षनाम कर्मों से छुट जाने का है नजात रिहाई का है' अर्थात् आत्मा का सर्व कर्मा से रहित होजाना इसका नाम मोक्षहै जैसे धूप से कई काजल जब विलकुल सूक जावे तब तेज हवा में रुई उड जाने से उसमें दर्गा था जो पक्षी वह उडकर वृक्ष पर जाय बैठे इसी तरह जब काँका रस तप रूपी धूपसे घट कर कर्म खश्क होजावें, तब आत्मध्यान रूपी तेज वायुफे प्रमावसे खुश्क कर्म कपी ।। काई के उड़ जाने से पक्षी रूपो मारमा उड कर मोक्ष रूपो. इस पर जाय बैठेगा तो जीव के जाने को सहाई धर्म दम्य है जैसे रेल के जाने को सहाई सड़क है सो जहांतक धर्म द्रव्य है वहां तक यह चला जाता है सो मोक्ष स्थानका जो ऊपरला