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जैनवालगुष्टका प्रथम भाग। महाविदेहक्षेत्रके २० विद्यमान .. १ सीमन्धर, २ युग्मंधर, ३ बाहु, ४ सुबाहु, ५ संजातक, ६ स्वयंप्रभ, ७ वृषभानन, ८ अनंतवीर्य, ९ सूरप्रभ, १० विशाल कीर्ति, ११ वजधर, १२ चंद्रानन, १३ चन्द्रबाहु, १४ भुजंगम, १५ ईश्वर, १६ नेमप्रभ (नमि) १७ वीरसेन, १८महाभद्र १९ देव. यश, २० अजितवीर्य ।
२४ तीर्थंकरों की १६ जन्म नगरीये॥ १, २, ४,५,१४, की अयोध्या, तीसरे की श्रावस्ती नगरी, छठेकी कोशांशी ७,२३ की काशीपुरी वेंकी चन्द्रपुरी में की का. कंदी नगरी १० की भद्रिकापुरी ११३ की सिंहपुरी १२३ को चम्पापुरी १३वे की कपिला नगरी १५वेकी रत्नपुरी १६,१७,१८ का हस्तनापुर १९, २१ की मिथलापुरी २०वे की कुशाग्र नगर या राजराही २२वें की शौरीपुर या द्वारिका २४वें की कुण्डलपुर।
नोट-अयोध्या को लाकेता भावस्ती नगरी को .महेट पाम । काशी को बनारस चम्पापुरीको भागलपुर । रत्नपरीको नौराई और शौरीपुरको बटेश्वर भी कहते हैं।
तीर्थकरों की जन्म नगरियों में फरक। २२ वे तीर्थंकर नेमिनाथ का जन्म किसी अन्य शौरीपुर में और किसी अन्य में शारिकापुरी में २०वे तीर्थंकर का जन्म किसी ग्रन्थ में कुशाग्न नगर में और किसी ग्रन्थ मैं राजगृही में लिखा है सो इन में जो फरक है वह केवली जानें।
२४ तीर्थंकरों के निर्वाणक्षेत्र।
ऋषभदेवका कैलाश,वासुपूज्य का चंपापुरी का बन, नेमिनाथ का गिरनार,वर्द्धमान का पावापुर, बाकी के २० का सम्मेद शिखर है।