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________________ १३ में अभी भी जीवित है। श्राचार्य शीलांककृत 'चउपन्न महापुरुस चरिय' श्रभी प्रकाशित है । प्राकृत टेक्स्ट सोसाइटी उसे प्रकाशित करने जा रही है । जैन धर्म के प्रचार का भौगोलिक दृष्टि से वर्णन करने वाली अनेक पुस्तकों की सकला बन गई है । उस सकला में पी० बी० देसाईकृत Jainism in South India and Some Jaina Epigraphs एक महत्वपूर्ण कड़ी है । इसमें तामिल, तेलुगु और कन्नड भाषा-भाषी प्रदेशो में जैन धर्म के प्रचार का ऐतिहासिक श्राधारों पर वर्णन है । तथा हैदराबाद प्रदेश के कन्नड शिला लेखो का संग्रह, अँग्रेजी विवरण और हिन्दीसार के साथ पहली बार ही दिया गया है । पुस्तक का प्रकाशन जीवराज जैन ग्रन्थमाला में हुआ है । उसी कक्षा में श्री राय चौधरी ने Jainism in Bihar लिखकर एक और कडी जोडी है । प्रादेशिक दृष्टि से विविध अध्ययन ग्रन्थो के द्वारा ही समग्रभाव से जैन धर्म के प्रचार क्षेत्र का ऐतिहासिक चित्र विद्वानों के समक्ष सकता है। अभी भी कई प्रदेशों के विषय में लिखना बाकी ही है । पार्श्वनाथ विद्याश्रम, बनारस से प्रकाशित डा० मोहन लाल मेहता का महानिबन्ध Jaina Psychology कर्मशास्त्र का मानसशास्त्र की दृष्टि से एक विशिष्ट अध्ययन है । अंग्रेजी में डा० ग्लाझनपू ने जैन कर्म मान्यता का जैन दृष्टि से विवरण दिया ही था किन्तु उस मान्यता का सवाद विसंवाद, श्राधुनिक मानसशास्त्र से तथा अन्य दर्शनों से किस प्रकार है यह तो सर्वप्रथम डा० मेहता ने ही दिखाने का प्रयत्न किया है । $ कद में छोटी किन्तु पूजा सबधी ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर लिखी गई प्रसिद्ध विद्वान् श्राचार्य कल्याण विजयजी को 'जिनपूजापद्धति' पुस्तिका में जैन पूजा पद्धति में कालक्रम से कैसा परिवर्तन होता श्राया है इस विषय का सुन्दर निरूपण है । M जैन कल्चरल रिसर्च सोसाइटी द्वारा डा० उमाकान्त शाह का निबंध 'सुवर्ण भूमि में कालकाचार्य' प्रकाशित हुआ है । इतिहास के विद्वानों का ध्यान इस पुस्तक की ओर मैं विशेषतः आकर्षित करना चाहता हूँ । प्रथम बार ही -लेखक ने प्रामाणिक अाधार से ये स्थापनाएँ की हैं कि जैनाचार्य कालक भारतवर्ष के बाहर सुवर्ण भूमि तक गये थे । सुवर्णभूमि वर्मा, मलयद्वीपकल्प, सुमात्रा और मलयद्वीप समूह है । श्राचार्य कालक अनाम ( चंपा ) तक गये | I 2
SR No.010199
Book TitleJain Adhyayan ki Pragati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal Banaras
Publication Year
Total Pages27
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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