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________________ १५२ प्राचार्य चरितावली - ४. बोटाद सघाड़ा पडित विट्ठल जी स्वामी के शिष्य भूपण जी स्वामी मोरवी पधारे और उनके शिष्य पूज्य वसरामजी "ध्रागधा" पधारे। तब से "ध्रागध्रा" संघाडा कहलाने लगा। श्री निहालचन्द जी के बाद वह समुदाय वन्द हो गया परन्तु पूज्य वसरामजी के एक शिप्य पू० जसाजी महा० बडे प्रतापी और आत्मार्थी हुये थे। कारणवशात् जव वे "धागा' से बोटाद पधारे तब वे वोटाद समुदाय के नाम से कहलाने लगे। Gun प्राचार्य परम्परा १. पूज्य श्री धर्मदास जी महाराज २ , मूलचन्द जी ३ , विट्ठलजी । ४. , हरखजी भूपण जी रूपचन्द जी , वसरामजी ' , ८ , जसाजी ___अमरसिह जी महा० । . ' श्री मूलचन्द जी स्वामी आदि अभी विद्यमान है। - ५ सायला समुदाय सवत् १८२९ की साल मे पू० श्री नागसी स्वामी आदि ठाणा चार सायला पधारे और वहा गादी-स्थापना की। तव से यह सायला समुदाय कहलाने लगी। ___आचार्य परम्परा: १. पूज्य श्री धर्मदास जी महाराज
SR No.010198
Book TitleJain Acharya Charitavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Gajsingh Rathod
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1971
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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