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प्राचार्य चरितावली
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सती जसकंवर जी इस सप्रदाय की प्राचार निष्ठ और प्रभावशीला आर्या है।
शाखा ५ और उसकी प्राचार्य परम्परा (१) पूज्य श्री जीवराज जी म० (२) , लाललन्द जी म० (३) , मनजी ऋपि म०
" नाथूरामजी म० (जिनके नाम से अभी सम्प्रदाय
चलती है) , लखमीचद म०
, छीतरमलजी म० (७) , रामलालजी म० (८) , फकीरचन्द जी म. (६) धर्मोपदेप्टा मुनि श्री फूलचन्दजी म० आदि अभी विद्यमान है। ___मुनि सुशीलकुमार जी भी इसी परम्परा के ख्यातनामा संत है ।
इसकी भी एक उपशाखा है, जिसमे मुनि श्री कुन्दनमलजी आदि इस प्रकार है:
१. पूज्य रामचन्द्र जी ५. पूज्य विहारीलालजी २ , रतीरामजी ६ , महेशदासजी ३. ,, नदलालजी ७. , वरखभाणजी ४. ,, रूपचंदजी ८ , कुदनमलजी
इन सभी शाखायो मे अभी कई वर्षों से प्राचार्य परम्परा उठ जाने से प्रवर्तक आदि पद-धारक मुनिराज ही सम्प्रदाय की व्यवस्था चलाते है।
(परिशिष्ट)
धर्मोद्धारक श्री धर्मसिंहजी लोकागच्छ के श्री पूज्य शिवजी म० के समय मे धर्मसिहजी नाम के