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इगिटयन फिलास्रोफिकल कांग्रेस कलकत्ता में जो निबन्ध पढ़ा गया था उसके सम्बन्ध में भावनगर से सेठ कुंवरती आनन्दजी ने एक पत्र में लिखा
है कि:
Evermudarendra
___ आचार्यश्रीविजयेन्द्रसरि का भाषण साधत है. पढ़कर मन अतिप्रसन्न हुआ। अन्यदर्शनियों की सभा के समक्ष जैनदर्शन समझाना कोई सरल बात नहीं है। विशेषतः यह भाषण तो अलग छपवा कर भी बाँटने योग्य है। बहुत ही उपकारक है। जैनशासन के तमाम सिद्धान्त बहुत है ही संक्षेप में समझाये हैं। इसके लिये मैं अधिक है। क्या लिखू ? बहुत ही श्रेष्ठ प्रयत्न किया गया है।
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