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हिन्दी के नाटककार
जीवन-काल ( ५६७ से ४८० ई० पूर्व ) में ही मगध पर शासन करता था। राजगह ( राजगृह ) उसकी राजधानी थी। उसने कौशल की राजकुमारी कोशलदेवी, लिच्छवी वंश की राजकुमारी छलना, पंजाब की राजकुमारी क्षेमा से विवाह किया । छलना से श्रजातशत्र का जन्म हुआ गौतम, बिम्बसार, अजातशत्रु, प्रसेनजित ( कोशल- नरेश ) विरुद्धक, पद्मावती, आम्रपाली उदयन सभी इतिहास प्रसिद्ध व्यक्ति हैं । और इसमें वर्णित घटनाएं – आम्रपाली द्वारा बुद्ध को भोजन कराना, कोशल- मगध का युद्ध, प्रसेनजित का विरुद्धक से विरोध आदि भी इतिहासपरिचित घटनाएं हैं |
‘चन्द्र गुप्त' के चाणक्य, चन्द्रगुप्त, नन्द, राक्षस, पर्वतेश्वर, सिकन्दर, सेल्यूकस, आम्भी, दाण्ड्यायन – सभी ऐतिहासिक व्यक्ति हैं । छूद्रकों और सिकन्दर का युद्ध और सिकन्दर का बुरी तरह घायल होना, यूनानी इतिहास तक में मिलता है । दाण्ड्यायन - सिकन्दर की भेंट और दाण्ड्यायन ( दण्डमिस) द्वारा सिकन्दर का फटकारा जाना भी इतिहास का सत्य है । चन्द्रगुप्त सेल्यूकस का युद्ध ( ३०५ ई० पूर्व ) भी सत्य घटना है । और कार्नेलिया - चन्द्रगुप्त-विवाह भी इतिहास मानता है । इतिहास के द्वारा यह भी सिद्ध हो चुका है कि चन्द्रगुप्त क्षत्रिय था । गोरखपुर के उत्तर-पूर्व में मौर्यों का एक प्रजातंत्र राज्य था - उसी मौर्य-क्षत्रिय - शाखा में चन्द्रगुप्त का जन्म पिप्पली कानन में हुआ था । 'ध्र वस्वामिनी' और 'स्कन्दगुप्त' गुप्त काल के नाटक है। सम्राट् समुद्रगुप्त के बाद उनका पुत्र रामगुप्त सम्राट् बना । वह कायर और विलासी था । 'ध्रुवस्वामिनी' उसी की पत्नी — गुप्त - कुल की राज्य लक्ष्मी थी । रामगुप्त की कायरता का लाभ उठाकर शकराज खिंगिल ने ध वस्वामिनी की
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बनाया गया है ।' "अजातशत्रु क्या अशोक का ही दूसरा नाम था ? परिणाम तो यही निकलना चाहिए कि अशोक श्रीर अजातशत्रु दोनों एक ही व्यक्ति हैं ।"
इतिहास का साधारण विद्यार्थी भी जानता है कि गौतम बुद्ध और चन्द्रगुप्त में लगभग २५०, अजातशत्रु और अशोक में ३००, तथा बिम्बसार ( अजातशत्रु का पिता ) और बिन्दुसार ( अशोक का पिता ) में ३०० वर्ष का अन्तर है । यह सर्वमान्य तथ्य है । पर सर्वमान्य तथ्य को स्वीकार करने
में
गुप्त जी की विलक्षण खोज की शान भला क्या रहती ।