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हरिकृष्ण 'प्रेमी'
१२३ जवान रक्त अपने जन्म-सिद्ध अधिकार के लिए प्राकुल हो रहा है। अधिकार की माँग में अपने को अधिकारी प्रमाणित करने का निर्माणकारी कार्य देश को करना है-सम्मिलित संघर्ष । और हिन्दू-मुसलिम-एकता उस सम्मिलित संघर्ष की शक्ति है। जिस देश-भक्ति ने हिन्दुत्व का रूप धारण करके भारतेन्दु को प्रेरित किया ; जो आर्य-सांस्कृतिक चेतना के रूप में प्रसाद की राष्ट्रीय प्रेरणा बनी, उसी राष्ट्रीय उत्थान की भावना ने 'प्रेमी' को हिन्दू-मुसलिमएकता का चोला पहनकर प्रकाश दिखाया। पर केवल हिन्दू-मुसलिम एकता ही, 'प्रेमी' के नाटकों में नहीं, उनमें वह सब-कुछ भी है, जो राष्ट्रीय, सामा. जिक और वैयक्तिक जीवन के लिए अनिवार्य है। __ एक ओर तो युग की मांग ने 'प्रेमी' को प्रेरित किया, दूसरी ओर उसके जीवन की अपनी परिस्थितियों ने भी उसको इधर मोड़ा। प्रेमी' का व्यक्तिगत जीवन अनेक विषम परिस्थितियों की दम घोटने वाली तंग घाटियों से होकर कभी समतल में आया है, कभी अचानक फिर बहुत नीचे ढाल पर दुलक पड़ा है। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में, जहाँ निश्चय का अवलम्ब न हो, समतल पर चलते रहने का भरोसा न हो, और न हो जीवन-यात्रा से थके मन को क्षण-भर विश्राम; वहाँ या तो मनुष्य घोर शृङ्गारिकता की शरण में जाता है या आदर्श की छाया में शान्ति पाता है। प्रेमी की अपनी परिस्थितियों ने भी उसको एक आदर्श की ओर मोड़ दिया। वह राष्ट्रीय श्रादर्श उसके लिए अवलम्ब बन गया । अपने जीवन की बेबसी में प्रेमी ने समस्त राष्ट्र की बेबसी और पीड़ा की झाँकी पाई । अपने को उसने सम्पूर्ण समाज का सजग, स्पष्ट और सम्पूर्ण प्रतिनिधि मानकर उन भीषण अभावों
और विवशताओं, अार्थिक विषमताओं और किसी विशेष वर्ग को दी गई शोषण की रियायतों का निराकरण राष्ट्रीय स्वाधीनता में पाने का प्रयत्न किया। यद्यपि यह निराकरण एक छलना ही है, तो भी प्रेमी के घायल मन को एक आदर्श का अवलम्ब मिल गया। उसी अवलम्ब को लेकर वह नाटकीय क्षेत्र में बहुत स्वस्थ लेखनी लेकर आगे बढ़े।
प्रेमी जी की नाटकीय प्रेरणा को पृष्ठभूमि है--राष्ट्रीय आदर्श : एक नैतिकता । प्रेमी जी के सभी नाटकों में सामन्ती युग, जब मुगल साम्राज्य भारत में स्थापित था, बलिदान और देश-भक्ति का संगीत बनकर बोल रहा है। ऐतिहासिक कथाओं में प्रेमी ने गांधीवादी राष्ट्रीय आदर्श की प्राणप्रतिष्ठा की है। गांधीवाद का प्रभाव प्रायः उनके सभी नाटकों में स्पष्ट है-यही गांधीवादी राष्ट्रीयता का आदर्श प्रेमी के नाटकों की प्रेरणा है। उसके युग