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आलोक
श्रव्य काव्य में उसे अधिकतर चित्र अपनी कल्पना से निर्मित करने पड़ते हैं। यदि जीवन में करुणा, प्रेम, क्रोध, घृणा अादि के रूप उसने देखे ही नहीं, तो वह इन रूपों की कल्पना कर ही कैसे सकेगा ? नाटक में तो सब-कुछ सामने होता है। पूर्व ज्ञान के आधार की उस में आवश्यकता नहीं, बल्कि वह तो नया ज्ञान देता है। ___रसानुभूति का अर्थ है अपना अस्तित्व भूल कर तन्मय हो जाना । श्राश्रय से सामाजिक अपना तादात्म्य स्थापित कर ले। यह तभी होगा, जब हमारी ज्ञानेन्द्रियाँ एक स्थान पर केन्द्रित हो जायं । नाटक में यही होता है । कान, आँख, मन, बुद्धि सभी एकाग्र होकर रसानन्द लेते हैं। जब हम अभिनय होते देखते हैं, तो तन-बदन की सुधि नहीं रहती। सभी भावों, भावनाओं और मानसिक अवस्थाओं का रूप हमारे सामने अाता है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जब खलनायक की दुष्टता से उत्तेजित होकर सामाजिक उसे गालियाँ तक देते हैं। एक बार ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने तो खलनायक को अपनी खड़ाऊँ फेंक मारी थी। नाटक देखते समय तालियाँ पीटना, हँसते-हँसते लोट-पोट हो जाना, जय-जयकार करना, आँसू बहाना आदि साधारण बात है। रस की यह अवस्था अन्य कलाओं के द्वारा उपस्थित करना कठिन है।
नाटक में सभी कलाओं का उचित समन्वय हो जाता है। नाटक लेखक की विभिन्न कलाओं का ज्ञान और सर्वतोमुखी प्रतिभा का सच्चा प्रमाण है। नाटक सामाजिकों को सभी ललित कलाओं का वरदान भी है। सामाजिक इसमें सभी कुछ पा जाता है । केवल कलाएं ही नहीं, अन्य शास्त्रों विज्ञानों का समावेश भी इसमें हो जाता है। राज्य-प्रासाद, मन्दिर, दुर्ग, कुटीर, आश्रम श्रादि के दृश्य उपस्थित किए जाते हैं । मठ, मन्दिर, प्रासाद आदि म अनेक मूर्तियाँ उपस्थित की जाती हैं। अनेक प्रकार के पट लटकाए जाते हैं । अभिनेता विभिन्न कालों और अवसरों के वस्त्र धारण करते हैं। नृत्य और संगीतनाटक का आवश्यक अंग है ही । अभिनेता पात्रों के भावों और व्यवहारों का वास्त विक रूप उपस्थित करते हैं । इस प्रकार नाटक में स्थापत्य, मूर्ति, संगीत, चित्र, नृत्य आदि कलाश्रों और मनोविज्ञान, समाज-शास्त्र, वस्त्र-विज्ञान श्रादि का भी समावेश हो जाता है।
नृत्य से अधिक उन्नत कला नाटक है । नृत्य में भावो का अभिनय होता है; वे रस की कोटि तक नहीं पहुंचते । नाटक का अभिनय रस की कोटि को पहुँचता है । नृत्य से ही नाटक विकसित हुआ । इसलिए नृत्य से नाटक श्रेष्ठ होना ही चाहिए। संगीत में भी रस की तन्मयता प्राप्त होती है। शब्द,