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मूर्ति का कितना कितना मोल पड़ा । हा!!! अफसोस है कि वे भगवान, त्रिलोकीनाथ सार अमाल पदार्थ है कि जिनका नाम रख कर मृत्ति का एकर कोड़ी मोल किया जाता है। तर्क० मला जो कदाचित् तुम ऐसे कहोगे कि सूत्र भी तो मोल विकते हैं तो हम उत्तर देंगे कि सूत्र को हम भगवान् तो नहीं मानते हैं कि यह प्रापम देव जी हैं यह महावीर जी हैं अपितु सूत्र तो हमारी विद्या के | याददास्ती के उपकरण हैं जैसे वही को देख कर लेना, देना याद कर लेते हैं परन्तु वही को लोक भगवान तो नहीं मानते । वस इस दृष्टान्त वमृजिव सद्ग की सेवा करके ज्ञान पैदा करो और जप, तप, दया, दान, संतोप औरशील, में पुरुषार्थ करो कि जिससे मुक्ति