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वह कालान्तरसे काल कर गयाऔर उस हकीम के दो बेटे थे परन्तु वे हकीमी नहीं जानते थे लेकिन एक ने अपने बाप की मूर्ति बनवाली और दूसरे ने बाप की हकीमी की पुस्तक सांभ रक्खी फिर एकदा समय हकीम की बडाई सुनकर कोई रोगी हकीम के द्वारेआया और सुना कि हकीम तो गुज़र गया परन्तु हकीम के दो बेटे हैं उनसे अर्ज करो जो कदाचित् तुम्हारा रोग हटा देवं । तब वह रोगी पहिले, छोटे बेटे के पास गया और कहने लगा कि तुम हकीम के पुत्र हो और मैं दूर से आया हूं इस लिये मेरा रोग कृपा कर हटा दो । तब वह बोला कि हकीम जी की मूर्ति से मुराद पाओ तब वह रोगी हकीम की मूर्ति के आगे बैठके रोने लगा और कहने लगा कि हे हकीम