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( ३०८ )
दुल्हा, जसुच्चा पड़िवज्जन्त, तवं खन्ति महिंसयं ॥ १ ॥ अस्यार्थ :__ इस गाथा में ऐसा भाव है कि मनुष्य जन्म तो प्राणी ने पाया, परन्तु धर्म शास्त्र का सुनना दुर्लभ है, सो धर्म शास्त्र कौनसा कि जिस के सुनने से श्रोताजन अंगीकार. करे । १ तप २ क्षमा ३ दया ये ३ तीन पदार्थ अङ्गीकार करने की अभिलाषा होय, १ क्योंकि जैसा शास्त्र में कथन होगा वैसाही श्रोताजन अर्थात् सुनने वाले का भाव होगा तस्मात् कारणात् ऐसे जानों कि धर्मशास्त्र वही है कि जिस्में तप क्षमा और दया का कथन प्रधान है और जिसमें इन का लोपन है वही कुशास्त्र जानों सो जो वेद, पुराण, भागवत, रामायण, व्याकरण
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