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॥ श्रीः॥ *श्रीवीतरागाय नमः
॥ ज्ञानदीपिका जैन ग्रन्थ ॥ इस ग्रन्थ का नाम “ ज्ञानदीपिकाजैन " यथार्थ रक्खा गया है, जैसे कि अन्धकार में सार और असार वस्तु का निश्चय न होय | तब दीपिका अर्थात् दीपक की ज्योति करके
देखने से यथार्थ भास हो जाता है, तैसे ही | जैन मत जो शांति, दांति, क्षांति रूप है तिसके विषे जो श्वेतांबरी अर्थात् श्वेतवस्त्रके धारने वाले जैनी साधु हैं तिनकी काल के | स्वभाव अथात् दुषमी आरा पञ्चम समा तथा व्यवहार भाषा कलियुग के प्रभाव से वर्तमान काल में दो प्रकार की श्रद्धा होरही है
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