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पास न करे क्योंकि नाटक चेटक रागादि || देखने सुनने से शायद श्रुति समायक से निकल जाय और चूल्हे चक्की के पास सुचित का संघट्ट होजाय तथा बाल बच्चे के आर जार से चित भंग होजाय इत्यर्थः २॥ और कालथकी समायक शुद्ध सो लघु बड़ी नीति | की बाधा का काल न होय तथा राजादिक
के बुलावे का यानि कचहरी जाने का काल | न होय क्योंकि चित व्याकुल होजायगा कि | कब समायक पूरी होय और कब जाऊं इत्यर्थः ॥३॥ और भाव शुद्ध सो पूर्वोक्त भाव का शुद्ध रखना इति ॥
अथ समायक का पाठ विधि सहित लिखते हैं ॥ प्रथम १ तो देव गुरु को खड़ा होके नमस्कार करे प्रत्यक्ष होय तो प्रत्यक्ष
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