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पृष्ट
विपय उच्छ्वास का प्रमाण और रसोई आदिक विहारक विषे यत्न करने की विधि वि
स्तार सहित है .... .... २३१ ३ तीसरी शिक्षा में साधु की सेवा ओर देव ।
गुरुधर्म की शुश्रूषा करने की विधि २३८ ४ चौथी शिक्षा में गृहस्थी को कुवाणिज्य
करने की और पराई सम्पत्ति देख के झूरने की और शेखी में आके वेटा बेटी के व्याह मे ज्यादा द्रव्य लगाने की
मनाही है .... .... .... २४३ ५ पांचवीं शिक्षा में पराए पुत्र और पराई स्त्री
को देख के हिरस करना नहीं और काम राग के निवारणे को देह की अपावनता
विचार के चित्त का समझाना .... २४५ ६ छठी शिक्षा में पराई रांड झगड़े में न पड़े २४९ ७ सातवीं शिक्षा में धर्म कार्य में द्रव्य लगाने - की प्रेरणा .... .... .... २५०