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(१०) राजा की जगात (महसूल) मारे अर्थात् राजा के धन आते को रोके तो म०।
(११) ब्रह्मचारी नहीं ब्रह्मचारी कहावे तो म० ।
(१२) वाल ब्रह्मचारी नहीं बाल ब्रह्मचारी कहावे तो म०।
(१३) शाह का धन लूटे शाह की स्त्री भोगे त. महा मोहनी कर्म बांधे ॥
(१४) पञ्चों का घात चितन करे तो म० ।
(१५) चाकर ठाकर को मारे प्रधान, राजा को मारे, स्त्री पुरुष को मारे, तो म०।
(१६) एक देश के राजा की घात चिन्तन करे तो म० ।
(१७) पृथ्वीपति राजाका घात चिन्ते तो म०।
(१८) साधु का घात चिन्ते तो म० । _ ( १९) सत्य धर्म में उद्यम करते को हटा देवे तो म०।
(२०) चार तीर्थो के अर्थात् साधु के १ साध्वी के २ श्रावक के ३ श्राविका के अवगुण वाद वाले तो म०। ।