SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 283
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री सघवी पाडाना भंडारना ताडपत्रीय ग्रथोनो अकारादिक्रम [ २६४ ] गायकवाडी | पेटीनो । पुस्तक | ग्रथनु नाम गायकवाडी | पेटीनो पुस्तक | ग्रथनु नाम नगर घालुनंबर | सख्या नपर | चालनंबर | सरज्या १७८ १८७(२) (१) नैषध महाकाव्य २९५ १६७(१) (७) पंचाणुवतप्रकरण ९४ ११४(२) (१) नैषधमहाकाव्य १४२(२-९) १९३(१) (१) पचाशक २८८ १३१(१) (२) नैषध महाकाव्य सर्ग ११ थी २२ सुधी १६१ १७४ (९) पचाशक २८८ १३१(१) (१) नैषध महाकाव्य सर्ग १ थी ९ सुधी १३३ १५६(१) (११) पंचाशक ११ २२३ १४४(१) (१) न्यायकदली ३६६ २२ (१) पंचाशक १९ ७०(१-७) १४६(१) (२) न्यायकलिका ३६६ २२ (२) पचाशकवृत्ति १५७ १९१(२) (१) न्यायकसमाजलिटीका २११(१) ५८(३) (१) पचाशक सूत्र १८० ६२(२) (२०) न्यायनो ग्रथ १४३ ६९(१) (१) पचाशकसूत्र १२२(१) १७१(२) (३) न्यायप्रवेशक व्याख्या २६८ १४५(२) (१) पचाशक सूत्र २४१(१-२) १७१(२) (२) न्यायप्रवेशसूत्र ४(१-२-४) १४६(२) (३) पचाशक सूत्र १८०६२(२) (२२) न्यायप्रवेशसूत्र ६२(२-३) १५२(१) (१) पचाशकसूत्र ७०(१-७) १४६(१) (६) न्यायवतारसूत्र १५६ १५३(२) (१) पचाशकसूत्र २० २४१(३)१२२(२) १७१(३) (४) न्यायावतारवृत्ति ३७१ ७ (१) पउमचरित्र (पद्य चरित्र) ७०(९) १०५(१) (१) न्यायावतारवृत्ति टिप्पण ३०७ २०५(१) (४) पउमसिरिचरित्र २४१(१-२) १७१(२) (१) न्यायावतारसूत्र २०२ ५९(२) (२०) पत्थियसमत्थ (स्थानकस्तवन) ३४४ १९ (६) पचकल्पचूर्णि .२२३ १४४(१) (२) पदार्थधर्मसग्रह (न्यायकदली सूत्र) ३४४ १९ (५) पचकल्प बृहद् भाष्य । ३४६ ३४(२) (१) पद्मप्रभचरित्र २३५१५१ (३) पचकल्याणक १८० ६२(२) (२१) पन्नवणातृतीयपदसग्रहणी १३२(४थी७) ७१(३) (२) पचकल्याणक प्रकरण २९८ १२९ (६) परद्रव्यापरहारविषये नागदत्ताकथा १६६ ६६(३) (५) पचकल्याणकप्रकरण १५५(१३-२४) १९८(२) (११) परमसुखद्वात्रिशिका १०३ १९०(२) (७) पचकल्याणकप्रकरण २९८ १२९ (८) परिग्रहप्रमाणविषये चारूदत्तकथा १०५ १०४(२) (९) पच नवकार २६४(१) (१३६)(१) (१) परिशिष्ट पर्व २०२ ५९(२) (१३) पंचपर्वादिकुलक २७७ ८० (१) परिशिष्ट पर्व १४२(२-९) १९३(१) (६) पचमीआराधनाप्रकरण ३११(२थी) ७२(३) (३) पर्यंताराधनाकुलक १७६(१) (१) पचवस्तुप्रकरण १७ ६९(४) (२) पर्युषणाकथा २७७ १७७(१) (१) पचवस्तुसूत्र . २०२ ५९(२) (१९) पश्चाताप ३१० १४० (१) पचसग्रह सूत्र ९५(१-९) १८२(१) (५) पाक्षिक खामणा ३१० १४० (२) पचसंग्रहसूत्र वृत्ति ९५(१-९) १८२(१) (४) पाक्षिक सूत्र १८२ १९८(१) (१) पंचसूत्र १६५ १६६ (७) पाक्षिकसूत्र १८२ १९८(१) (२) पचसूत्र टीका ३८ १६१(२) (५) पाक्षिकसूत्र
SR No.010181
Book TitleCatalogue of Manuscripts of Patana Jain Bhandara 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Jambuvijay
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy