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सवत्
प्रा.
श्री सघवी पाडाना भंडारना ताडपत्रीय ग्रथोनी सूचि
[ २१ ] गायकवाडी | पेटीनो | पुस्तक ग्रंथर्नु नाम
| फ्नसख्या भाषा
रचनाग्रथकर्ता
श्लोक
लेखन
संख्या नभर चालुनबर संख्या
सवत् २४१(१-२) १७१(२) (१) न्यायावतारसूत्र
१-२ सं २४१(१-२) १७१(२) (२) न्यायप्रवेशसूत्र
२-६ सं १२२(१) (३) न्यायप्रवेशक व्याख्या १-२३ स. हरिभद्रसूरि
५०० २४१(३) १२२(२)/१७१(३) (४) न्यायावतारवृत्ति
१-६८ स ६६(१-३) १७२(१) (१) सग्रहणी
३-५२ ६६(१-३) १७२(१) (२) कर्मस्तव
५२-६० ६६(१-३) १७२(१) (३) कर्मविपाक
६१-९० गर्गर्षि
गा १६६ ५१ १७२(१) (४) सत्तरी प्रकरण
९१-१२८
गा १९१ ५१ १७२(१) (५) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण १२९-१५९
जिनवल्लभगणि गा.८६ ५१ १७२(१) (६) सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण
१५९-१९१
जिनवल्लभगणि गा. १५५ ५१ १७२(१) (७) नवपदप्रकरण
१९२-२१९
जिनचन्द्रगणि १९६ १७२(२) (१) शातिनाथचरित्र (कागळमां छे.)
१-१६३ मुनिदेवसूरि
४८५५
१३२२मा रच्यु १७२(३) (१) अपभ्रशस्तोत्रादि संग्रह
चक्रेश्वरसूरि आदि १५२ १७३(१) (१) सिद्धहेमलघुवृत्ति अवचूरिका
१-८०,
धनचन्द्र
१-६२ १७३(२) (१) प्रबोधचंद्रोदयनाटक
१५६
कृष्णमिश्र १६१ १७४ (१) योगशास्त्र ४ प्रकाश
४-३१
हेमचन्द्राचार्य श्लो, ४५९ १६१ १७४ (२) वीतरागस्तोत्र
३२-४५
हेमचन्द्राचार्य १६१ १७४ (३) बोधप्रदीप
४५-५२ १६१ १७४ (४) आत्मानुशासन
५२-५७
पार्श्वनाग १६१ १७४ (५) मोक्षोपदेश पचाशिका
५७-६१
मुनिचन्द्रसूरि १६१ १७४ (६) प्रशमरति
. ६१-८३ सं उमास्वातिजी १६१ १७४ (७) ज्ञानाकुश प्रकरण
८४-८६ स १६१ १७४ (८) कर्मग्रथो प्रवचन सदोह"
८७-१५६ प्रा १६१ १७४ (९) पचाशक"
१५६-२२५ प्रा. हरिभद्रसूरि १. कोई पानानी कोरो खरी गई छे २. त्रुटक अपूर्ण, कोरो एकबाजुनी खरी गई छे-जीर्ण ३. छेल्लु पानु फाटवा माड्यु छे ४. अस्तव्यस्त-त्रुटक ५. पहेलु ने छेल्लु पानु त्रुटक ने चोटेला छे. ६. पहेला ३ पत्र नथी. ७. पत्र ४४नो १ टुकडो नथी. ८. त्रुटक पत्र ४५-४६-५०-५१ नथी ९. पत्र ५३-५५ नथी ५६ना बे टुकडा छे. १०. त्रुटक पत्र ५८-५९-६० नधी नथी. ११. पत्र ६४-६६-७८-८०-८१ नथी १२. पत्र ८५मु नथी. १३. पत्र ८८-९५-९८-१००-१०१-१०४-१३४-१३५-१४३ नथी १४. पत्र १५६-१५७-१७९-१८०-१८९-१९२
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